उदाहरण के लिए एक तीव्र उदर से पीड़ित के रूप में सामान्य सर्जन नहीं संदर्भित कर रहे हैं.
4.
कोष्ठबद्धता, आध्मान (अफारा), अम्लपित्त, अतिसार, अजीर्ण, प्रवाहिका आदि रोगों में तीव्र उदर शूल होती है।
5.
तीव्र उदर की परिभाषा ये है की, किसी कारन से भयंकर, लगातार पेट दर्द रहे, अचानक पेट में दर्द हो तो ऐसे कारण के इलाज लिए सर्जिकल हस्तक्षेप किया जा सकता है.
6.
तीव्र उदर की परिभाषा ये है की, किसी कारन से भयंकर, लगातार पेट दर्द रहे, अचानक पेट में दर्द हो तो ऐसे कारण के इलाज लिए सर्जिकल हस्तक्षेप किया जा सकता है.